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05/07/2024
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दिल्ली के शिक्षा मोडल की खुली पोल#चौ:अनिल कुमार

दिल्ली के शिक्षा मॉडल का ढ़िढोंरा पीटने वाले अरविन्द केजरीवाल के शिक्षा मॉडल की पोल 12वीं और 10वीं के नतीजों ने खोल कर रख दी है।- चौ0 अनिल कुमार

नई दिल्ली, 26 जुलाई, 2022 – दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली के शिक्षा मॉडल का ढ़िढोंरा पीटने वाले मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के शिक्षा मॉडल की पोल इस वर्ष के 12वीं और 10वीं के नतीजों ने खोल कर रख दी है। दूसरे राज्यों में दिल्ली शिक्षा मॉडल का झूठा बखान करने वाले केजरीवाल की खोखली शिक्षा नीति ही परिणाम हुआ कि दिल्ली 10वीं के रिजल्ट में टाप-10 से बाहर रही और रीजन के मुताबिक 12वीं के रिजल्ट में 4 और 5वें स्थान पर रही। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही चिंताजनक है कि 2007 के बाद इस वर्ष 10वीं का 81.36 प्रतिशत रिजल्ट सबसे खराब रहा है।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया सीबीएससी बोर्ड परीक्षा में दिल्ली के सरकारी स्कूलों के खराब प्रदर्शन पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है। जहां 10वीं का परिणाम में दिल्ली के सरकारी स्कूलों का प्रतिशत 81.36 प्रतिशत रहा वहीं केंद्र सरकार के केन्द्रीय विद्यालयों का रिजल्ट 99.48 प्रतिशत, जवाहर नवोदय विद्यालय का रिजल्ट 99.99 प्रतिशत रहा और दिल्ली के निजी स्कूलों 95.99 प्रतिशत तक केजरीवाल के स्कूलों से कहीं रहा। उन्होंने कहा कि एक-एक करके केजरीवाल के सभी दावे झूठे और खोखले साबित हो रहे है।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि केजरीवाल “दिल्ली मॉडल ऑफ एजुकेशन एंड हेल्थ केयर“ पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खीचने का जो दावा करते थे उसकी सच्चाई 10वीं के परिणाम और कोविड महामारी लॉकडाउन स्वास्थ्य क्षेत्र में विफलताओं के बाद दिल्लीवासियों के सामने पूरी तरह उजागर हो चुकी है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल हिमाचल और गुजरात में चुनावी रैलियों में दिल्ली के खोखले शिक्षा स्तर की जो बयानबाजी कर रहे है उसकी सच्चाई यह है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि यह सही है कि केजरीवाल शिक्षा व्यवस्था का प्रचार करने में पूरी तरह सफल रहे है परंतु सरकारी स्कूलों की शिक्षा में सुधार लाने में वे पूरी तरह विफल साबित रहे।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी के कारण सीबीएसई के परिणाम प्रभावित हुए है जिसमें दिल्ली के छात्र लगातार पिछड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रींसिपलों के 760 पद खाली है, वाईस प्रींसिपलों के 479 पद खाली है और पीजीटी शिक्षकों के 15513 खाली पदों तक पहुच गई तथा 4332 नॉन टीचिंग स्टॉफ के पद खाली है और दिल्ली सरकार के विद्यालय 22000 गेस्ट टीचरों के भरोसे चल रहे है, जिन्हें छात्रों की पढ़ाई के साथ-साथ अपने वेतन के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।

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